लोकसभा का चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आता गया। वैसे-वैसे मुख्य विपक्षी दल काँग्रेस के नेताओं का पलायन सत्ताधारी पार्टी भाजपा में होता गया है। कुछ भाजपा के भी नेता टिकट कटने या किन्ही अन्य कारणों से काँग्रेस में भी गये हैं। चुनाव के समय यह कोई नयी बात नहीं है। लेकिन इन दल बदलू नेताओं पर सभी पार्टियाँ मेहरबान दिख रही हैं।
दल बदल कर आने पर इन नेताओं को पार्टी में कोई बड़ा पद या लोकसभा का टिकट तुरंत मिल जा रहा है। दल बदलू नेताओं की किस्मत चमकाने में भाजपा सबसे आगे है। भाजपा इन दल बदलू नेताओं को अपने गढ़ से टिकट दे रही है। अभी हाल ही में उसने पीलीभीत से सांसद रहे वरुण गाँधी का टिकट काट कर जितिन प्रसाद को टिकट दिया है। काँग्रेस से आये जितिन प्रसाद को बगैर चुनाव लड़े योगी सरकार में लोक निर्माण विभाग के मंत्री की जिम्मेदारी सौंपी गयी थी।
क्या यह नेता भाजपा के कार्य नीतियों से पार्टी में शामिल हो रहे हैं या केवल चुनाव जीतना ही मात्र उनका लक्ष्य है? काँग्रेस से भाजपा में शामिल हुए नेता काँग्रेस की कार्य नीतियों और विचारों से मुक्त होकर आ रहे हैं। अगर ऐसा नहीं है तो समय आने पर इन नेताओं ने अपने अंतरात्मा की आवाज सुनी तो भाजपा को इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है। क्योंकि काँग्रेस से भाजपा में इतने लोग शामिल हो गये हैं कि अब भाजपा के अंदर भी एक काँग्रेस बन गयी है।
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