सुगम यातायात के लिए सुरक्षित नहीं दिल्ली की सड़कें

दिल्ली की दौड़ती भागती सड़कों पर आजकल सबसे ज्यादा सड़क हादसे हो रहे हैं। वर्ष 2022 के आँकड़े बताते हैं कि सड़क हादसों में 629 पैदल यात्रियों की, 551 दोपहिया वाहनों और 48 साइकिल सवार की मौत हुई है। सड़क हादसे में दिल्ली टॉप पर है। देश की राजधानी दिल्ली की सड़के सुरक्षित, सुगम यातायात की नजीर बननी चाहिए, लेकिन दिल्ली की छवि सर्वाधिक सड़क हादसों के कारण राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर नकारात्मक हो रही है। जहाँ एक्सप्रेस-वे, हाईवे का निर्माण सुगम और सुलभ रूप से तेजी से किया जा रहा है, कनेक्टिविटी बढ़ रही है। इन सड़को पर आपको 80 से 100 किमी. की रफ्तार भी कम महसूस होगी, लेकिन इसके विपरीत कुछ सड़कों पर 40 से 50 किमी. के रफ्तार से आगे बढ़ ही नहीं पाती। इन दोनों ही जगहों पर सड़क हादसे होने के अलग-अलग कारण हैं। तेज रफ्तार से वाहन चलाना, गलत दिशा में गाड़ी चलाने के कारण, शराब पीकर लापरवाही से गाड़ी चलाना, नौसिखिए चालक, सड़क पर जानवर आना,सड़क टूटी होना, संकेतकों का अभाव और बिना हेलमेट,बिना सीट बेल्ट लगाए, नियम को तोड़ने पर पुलिस को देखकर भागना यही सड़क हादसा का कारण बनते हैं, जिसमें लोगों की जान चली जाती है। सड़क हादसे सबसे ज्यादा रात में सड़कों पर स्ट्रीट लाइटों की कमी और ठंड के दिनों में कोहरे छाए रहने से साफ-साफ नहीं दिखने से भी होते हैं। पैदल यात्री और साइकिल सवार की बात करें तो उनके चलने के लिए कोई जगह ही नहीं है। फूटपाथ पर तो एमसीडी ने दुकानें आवंटित कर दी हैं।

सड़क हादसे में किसी को दोषी नहीं माना जाता है। इसलिए कोई भी सड़क हादसे को गंभीरता से नहीं लेता है। जब तक किसी पर सख्त कार्रवाई नहीं होगी, तब तक इन सड़कों की खामियाँ कैसे दूर होगी। सभी जिलों के अधिकारियों को इस पर गंभीरता से चिंतन करते हुए आवश्यक कदम उठाने होंगे। लोगों को यातायात नियमों के बारे में जागरूक करना होगा और लोगों को खुद भी नियमों का पालन करना चाहिए। उन्हें रिफ्लेक्टर लगाने, हेलमेट लगाने के लिए प्रेरित करना चाहिए। किसी भी व्यक्ति को अच्छे से गाड़ी चलानी ना आती हो, लेकिन सड़क पर चलते समय उसको सड़क सुरक्षा उपायों का ज्ञान होना चाहिए। टूटी सड़कों और सड़कों पर बने गड्ढे को जल्द से जल्द मरम्मत करवाना चाहिए। जहाँ सड़कों पर स्ट्रीट लाइट और संकेतकों की कमी है, वहाँ पर लगाया जाना चाहिए। सभी को यातायात के नियमों और स्वयं की जिम्मेदारियों के साथ ताल-मेल बैठाकर रखना होगा। तभी इन सड़क हादसों पर अंकुश लगेगा।

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Abhayjeet Yadav

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प्रशिक्षु पत्रकार, भारतीय जन संचार संस्थान