वर्तमान समय में, देश भर में अधिकांश राजमार्ग पर टोल टैक्स फास्टैग के माध्यम से वसूला जा रहा है। टोल प्लाजा पर जब वाहन बूम के करीब आता है तो फास्टैग स्कैनर वाहनों पर चिपकाए गए फास्टैग आईडी को पढ़ता है, और दो टोल प्लाजा के बीच की दूरी के आधार पर शुल्क लेता है। फास्टैग सिस्टम को स्कैन करने के लिए वाहनों को टोल प्लाजा पर थोड़ा रूकने की आवश्यकता होती है। इससे टोल प्लाजा पर अक्सर वाहनों की लम्बी कतारें देखने को मिलती हैं। कभी-कभी फास्टैग खराबी से स्कैन नहीं होता या वाहनों के फास्टैग आईडी में रिचार्ज नहीं होने पर भी देरी होती है। फास्टैग सुविधा होने पर भी अगर जाम से जूझना पड़े तो उनका गुस्सा सातवें आसमान पर चला जाता है। उनका कहना है कि टोल टैक्स का भुगतान भी करूँ और इंतजार भी। वाहन चालकों का यह दर्द वाजिब है। वाहनों की लगी लम्बी कतार में फसने का विरोध करने पर टोल प्लाजा पर तैनात बाउंसरों द्वारा अमर्यादित व्यवहार और कहीं-कहीं तो बंधक बनाकर पिटाई भी कर देते हैं। हाल ही में, दिसंबर के महीने में नोएडा के सेक्टर नौ के रहने वाले निशांत वैद के साथ सराय टोल पर मारपीट की गई थी, जिसको लेकर उन्होंने मुकदमा दर्ज कराया। 20 जून 2023 को खेड़कीदौला टोल प्लाजा पर दिल्ली यूनिवर्सिटी के छात्रों की कार पर बूम गिर गया था। छात्रों के विरोध करने पर टोलकर्मियों द्वारा उनके साथ मारपीट की थी।
फास्टैग सिस्टम को टोल प्लाजा पर वाहनों की लगी लम्बी लाइनों को खत्म करने के लिए लाया गया था। जब यह फास्टैग सिस्टम आया था तो केन्द्र सरकार कह रही थी कि अब वाहनों को एक मिनट से भी कम समय टोल प्लाजा से निकलने में लगेगा, लेकिन इसका खामियाजा लोगों को भुगतना पड़ रहा है। जब वाहन चालक फास्टैग लगाकर चल रहे हैं तो उनकी क्या गलती है? फास्टैग से ही भुगतान हो रहा है तो टोल प्लाजा पर जाम क्यों लग रहा है? इसकी जिम्मेदरी किसकी है। इसका पड़ताल करके सुधार लाना होगा।
टोल प्लाजा पर ट्रैफिक का दबाव बढ़ने से ही एनएचआई ने सभी टोल प्लाजा पर फास्टैग सिस्टम अनिवार्य कर दिया है। इसके बावजूद अधिकत्तर टोल प्लाजा पर दबाव कम नहीं हो रहा है। हाईवे पर यात्रा के दौरान टोल प्लाजा पर वाहनों की लम्बी कतार लगना फास्टैग स्कैन का ना ही है। फास्टैग सिस्टम विकसित करने के नाम पर केवल खानापूर्ति हो रही है। फास्टैग सिस्टम की तकनीकी में बदलाव लाना चाहिए। फास्टैग सिस्टम ऐसा होना चाहिए कि बूम के पास वाहन आने से 10-12 मीटर पहले ही रीड कर ले, लेकिन ऐसी व्यवस्था नहीं है। हर जगह जब वाहन बूम के नजदीक आते हैं, तब तक सिस्टम रीड नहीं कर पाता है। इसलिए फास्टैग सिस्टम विकसित किए जाने पर भी वाहन निकलने में समय लग जाता है। वहीं अधिकत्तर वाहन चालकों द्वारा समय पर रिचार्ज नहीं कराने रहने पर उनको बूम के आगे नहीं बढ़ने दिया जाता है। उन वाहन चालकों से दो गुना टोल वसूला जाता है तो वे बहस करने लगते हैं। इतनी ही देर में कभी-कभी वाहनों की लम्बी लाइन लग जाती है।
टोल टैक्स वसूलने वाली कम्पनियों को टोल प्लाजा पर टोल कर्मी का नाम और मोबाइल नंबर अंकित कर देना चाहिए। ताकि उसके द्वारा दुर्व्यवहार और बदतमीजी करने पर वाहन चालक उस टोल कर्मी की शिकायत उसके टोल मैनेजर से कर सके। टोल कर्मी का नाम और मोबाइल नंबर बड़े अक्षरों में अंकित होना चाहिए। जिससे वाहन चालक को पूछना ना पड़े। कई बार तो इसी को लेकर विवाद हो जाता है कि आप का नाम क्या है? टोल कर्मी अपना नाम बताने के बजाय वाहन चालक से लड़ाई कर बैठता है। इसी लड़ाई से बचने के लिए टोल कर्मी का नाम और मोबाइल नंबर अंकित करने का सुझाव है और यह उपाय किया भी जा सकता है। इसमें किसी भी टोल कर्मी को आपत्ति नहीं होनी चाहिए। हालाँकि टोल कर्मी की शिफ्ट आठ घंटे की होती है तो उसके लिए अलग-अलग व्यवस्था होनी चाहिए और अलग-अलग जवाबदेही होगी।
एनएचएआइ को भी जिम्मेदारी लेते हुए वेबसाइट पर शिकायत और सुझाव का विकल्प देना चाहिए। अगर किसी वाहन चालक के साथ किसी भी प्रकार का कोई अनुचित व्यवहार हो तो वह इसको लेकर वेबसाइट पर शिकायत कर सके।एनएचएआइ को सोशल मीडिया पर अकाउंट बनाकर लोगों को फास्टैग रिचार्ज आदि जैसी जानकारी देनी चाहिए, उनसे उनकी राय लेनी चाहिए और टोल फ्री नंबर भी जारी कर सकते हैं। इन शिकायतों का एक निश्चित समय के अंदर समाधान होना चाहिए। यही नहीं अगर किसी टोल कम्पनी के बारे में लगातार ज्यादा शिकायतें आए तो उसके खिलाफ भारी जुर्माना लगाने का प्रावधान करना चाहिए। जब इस तरह के उपाय किए जाएँगे तो निश्चित रूप से उनकी जवाबदेही होगी और व्यवस्था में सुधार आ सकता है।
इससे छुटकारा पाने के लिए टोल संचालक कम्पनियों और वाहन चालकों को अपनी-अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी। देश में सैकड़ो वाहन प्रतिदिन फास्टैग में रिचार्ज ना होने पर जुर्माना देकर निकलते हैं। टोल संचालक कम्पनियों को फास्टैग सिस्टम को समय-समय पर अपग्रेड करते रहना और रखरखाव पर भी ध्यान देना चाहिए।जब तक टोल संचालक कम्पनियाँ और वाहन चालक दोनों अपनी -अपनी जिम्मेदारी नहीं समझेंगे, तब तक व्यवस्था बेहतर नहीं हो सकती है।
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