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लोकसभा का चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आता गया। वैसे-वैसे मुख्य विपक्षी दल काँग्रेस के नेताओं का पलायन सत्ताधारी पार्टी भाजपा में होता गया है। कुछ भाजपा के भी नेता टिकट कटने या किन्ही अन्य कारणों से काँग्रेस में भी गये हैं। चुनाव के समय यह कोई नयी बात नहीं है। लेकिन इन दल बदलू नेताओं पर सभी पार्टियाँ मेहरबान दिख रही हैं।
आजकल की महिलाएँ हर क्षेत्र में पुरुषों को चुनौती दे रही हैं। इसके बावजूद लोग महिलाओं के महत्व को स्वीकार करने में हिचकिचाते दिखाई-सुनाई पड़ रहे हैं। इस हिचक को दूर करने के लिए लोगों को अभी काफी लम्बा सफर तय करना है। यह देखकर गर्व भी होता है कि महिलाएँ घर की चारदिवारी को लाँघकर अपनी योग्यताएँ साबित कर रही हैं। क्योंकि महिलाएं साहस और धैर्य के साथ खुद को नई पहचान दिलाने के लिए तत्पर हैं। पुरुष भी महिलाओं के प्रति अपना नजरिया बदलकर उनके कार्यों की सराहना करते हुए उनको समान अवसर प्रदान कर रहे हैं। लेकिन यह पूरी तरह सच भी नहीं है क्योंकि पितृसत्तात्मक समाज की पुरुषवादी सोच आज भी महिलाओं को दबाने-सताने का प्रयास करती रहती है। हालाँकि अधिकांश लोग इस बात से सहमत भी होते हैं कि उनको आगे आकर अपने हक की बात करनी चाहिए। लेकिन इनमे से कुछ लोग महिलाओं को दबे-ढके रहने, पलटकर जवाब न देने, पुरुष से कमतर , अयोग्य और कम बौद्धिक क्षमता वाला समझते हैं।
दिल्ली की दौड़ती भागती सड़कों पर आजकल सबसे ज्यादा सड़क हादसे हो रहे हैं। वर्ष 2022 के आँकड़े बताते हैं कि सड़क हादसों में 629 पैदल यात्रियों की, 551 दोपहिया वाहनों और 48 साइकिल सवार की मौत हुई है। सड़क हादसे में दिल्ली टॉप पर है। देश की राजधानी दिल्ली की सड़के सुरक्षित, सुगम यातायात की नजीर बननी चाहिए, लेकिन दिल्ली की छवि सर्वाधिक सड़क हादसों के कारण राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर नकारात्मक हो रही है। जहाँ एक्सप्रेस-वे, हाईवे का निर्माण सुगम और सुलभ रूप से तेजी से किया जा रहा है, कनेक्टिविटी बढ़ रही है। इन सड़को पर आपको 80 से 100 किमी. की रफ्तार भी कम महसूस होगी, लेकिन इसके विपरीत कुछ सड़कों पर 40 से 50 किमी. के रफ्तार से आगे बढ़ ही नहीं पाती। इन दोनों ही जगहों पर सड़क हादसे होने के अलग-अलग कारण हैं। तेज रफ्तार से वाहन चलाना, गलत दिशा में गाड़ी चलाने के कारण, शराब पीकर लापरवाही से गाड़ी चलाना, नौसिखिए चालक, सड़क पर जानवर आना,सड़क टूटी होना, संकेतकों का अभाव और बिना हेलमेट,बिना सीट बेल्ट लगाए, नियम को तोड़ने पर पुलिस को देखकर भागना यही सड़क हादसा का कारण बनते हैं, जिसमें लोगों की जान चली जाती है। सड़क हादसे सबसे ज्यादा रात में सड़कों पर स्ट्रीट लाइटों की कमी और ठंड के दिनों में कोहरे छाए रहने से साफ-साफ नहीं दिखने से भी होते हैं। पैदल यात्री और साइकिल सवार की बात करें तो उनके चलने के लिए कोई जगह ही नहीं है। फूटपाथ पर तो एमसीडी ने दुकानें आवंटित कर दी हैं।
वर्तमान समय में, देश भर में अधिकांश राजमार्ग पर टोल टैक्स फास्टैग के माध्यम से वसूला जा रहा है। टोल प्लाजा पर जब वाहन बूम के करीब आता है तो फास्टैग स्कैनर वाहनों पर चिपकाए गए फास्टैग आईडी को पढ़ता है, और दो टोल प्लाजा के बीच की दूरी के आधार पर शुल्क लेता है। फास्टैग सिस्टम को स्कैन करने के लिए वाहनों को टोल प्लाजा पर थोड़ा रूकने की आवश्यकता होती है। इससे टोल प्लाजा पर अक्सर वाहनों की लम्बी कतारें देखने को मिलती हैं। कभी-कभी फास्टैग खराबी से स्कैन नहीं होता या वाहनों के फास्टैग आईडी में रिचार्ज नहीं होने पर भी देरी होती है। फास्टैग सुविधा होने पर भी अगर जाम से जूझना पड़े तो उनका गुस्सा सातवें आसमान पर चला जाता है। उनका कहना है कि टोल टैक्स का भुगतान भी करूँ और इंतजार भी। वाहन चालकों का यह दर्द वाजिब है। वाहनों की लगी लम्बी कतार में फसने का विरोध करने पर टोल प्लाजा पर तैनात बाउंसरों द्वारा अमर्यादित व्यवहार और कहीं-कहीं तो बंधक बनाकर पिटाई भी कर देते हैं। हाल ही में, दिसंबर के महीने में नोएडा के सेक्टर नौ के रहने वाले निशांत वैद के साथ सराय टोल पर मारपीट की गई थी, जिसको लेकर उन्होंने मुकदमा दर्ज कराया। 20 जून 2023 को खेड़कीदौला टोल प्लाजा पर दिल्ली यूनिवर्सिटी के छात्रों की कार पर बूम गिर गया था। छात्रों के विरोध करने पर टोलकर्मियों द्वारा उनके साथ मारपीट की थी।
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